मानव का सामर्थ्यवान तथा सर्जनात्मक मन | The Powerful and Creative Mind

मन की दुनिया में उभरने वाले संकल्प कोई भी कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना कर सकते है। इस मन का उचित रूप से नियोजन कैसे किया जाए यह जानलेना महत्वपूर्ण होता है।
मन का सामर्थ्य, मन की विशालता, मन की गहराई तथा मन की क्रियाशीलता इन सबका अध्ययन कई सदियोंसे शुरू है और वह आने वाले समय में भी शुरू रहेगा। हम बहुत सारे कवि तथा साहित्यिक लोगोंका मन विषय पर लिखा हुआ लेखन पढ़ते है। इन कवि लेखाकोंको यह मन अथाह महासागर के समान प्रतीत होता है। आश्चर्य की बात यह है की मन को किसी विशिष्ट वस्तु या किसी अवयव की तरह हम दिखा नहीं सकते, मन को देख नही सकते है। इसीलिए तो मन की एक परिपूर्ण व्याख्या बनाना बहुत मुश्किल है। यह सब पता होते हुए भी, मन क्या है इसे समझने का हम प्रयास करेंगे।

“मानव के कई अनुभवोंके पीछे, या इन अनुभवोंके मूल स्वरूप में स्थित होनेवाली ऊर्जा, फिर भी जो अव्यक्त है उसे मानव का मन कहा जाता है।”

हमारे शरीर के अंतर्गत एवं बाह्य विभाग में बहुत सारी हलचल और बहुविध क्रियाएं घटित होती रहती है। यह हमारा मन ही वह प्रेरक शक्ति है, जो इन सभी क्रियाओंको तथा हलचल को प्रेरणा देती है।
अब एक नए दृष्टिकोण से मन को देखना और समझना शुरू करते है। अगर आपसे यह पूछा जाए कि, आपकी माता का प्रेम और आपकी माता ने दी हुई भेंटवस्तु इन दोनो में क्या सर्वश्रेष्ठ है? इसपर आपका उत्तर क्या होगा? यकीनन आप कहेंगे माता का प्रेम! क्यूं, ऐसाहि कहेंगे न आप? आप ऐसा कहेंगे क्योंकि आपको आपकी माता का प्रेम बहुत ही तकतवर लगता है और आप इसे महसूस कर सकते है।

अब एक अन्य उदाहरण देखते हैं: किसी विद्युत उपकरण का सर्किट और उस सर्किट से बहने वाली विद्युत धारा, इन दोनो में कौनसी चीज सर्वश्रेष्ठ है? ऐसा अगर आपको पूछा जाए तो आप क्या कहेंगे? निश्चित ही आप कहेंगे सर्किट से बहने वाली विद्युत धारा! ऐसाही कहेंगे न? ऐसा कहने का कारण यह है की इस विद्युत में ही उस सर्किट का वर्किंग करने की ताकत है।
इन उदाहरणोंसे हमे यह आसानी से समझने आता है की, भेटवस्तू और विद्युत सर्किट यह दोनो दृश्यमान स्थूल (solid) वस्तुएं है। माता का प्रेम और बहने वाली विद्युत धारा इन दोनो का स्वरूप तो बहुत सूक्ष्म है, वह दृश्यमान भी नही है फिर भी दोनो भी बहुत शक्तिशाली है।
हमारा मन भी इसी तरह का है। मन कोई घन पदार्थ नहीं है फिर भी बहुत तकद्वार है। हमारे शरीर पर, वर्तन पर तथा हमारी क्रिया प्रतिक्रियाओं पर जो तीव्र या सौम्य असर दिखाई देते है, उनको अगर हम पूरी तरह जानले, तो हमे हमारे मन का अस्तित्व पूर्ण रूप से समझने आता है, और अनिवार्यता से हम स्वीकार भी करते है।

“मेरे मन में कोहराम मचा हुआ है, सोच सोच कर मेरा मन अब थक गया है, अपने मन की भावानाओंको में अभी प्रकट करूंगा” ऐसी बातें करते वक्त कभी आपने स्वयं को देखा है? अपने देखा होगा की आप अपना सिर अपने हाथोंसे पटकते रहते है।
अरे भाई मन सिर में नही होता, पूरे शरीर में व्याप्त होता है!

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मन की अवस्था नित्य बदलती रहती है, इसी वजहसे मन की व्याख्या प्रस्थापित एवं प्रचलित शास्त्रोंके आधार पर नहीं की जा सकती है। यह बात कितनी आश्चर्यजनक है ना?
जिस मनके मध्यम से बहुत सारी प्रेरणाएं लोगोंको (संशोधक व्यक्ति को भी) मिली है, इस मन के आधार पर बहुत सारे अभिनव शास्त्रोंका ज्ञान पूरे विश्व को हुआ है, उसी मन को हम किसी विशिष्ट शास्त्र की मिती में हम संपूर्णतः नही उतार सकते है।
मूलतः विषय यह है की, मानवी मन के अद्भुत सामर्थ्य की कल्पना और उसकी विशाल व अमर्याद क्षमताएं हमे ज्ञात नही हो पाती; इसी वजहसे हमारी मानसिक शक्ति का केवल छोटसा हिस्सा ही हम हमारे पूरे जीवन में उपयोग में लाते है। 100 में से 10 % भी हिस्सा हम उपयोग में नही लाते। अगर मन की तकद को इतनी कम मात्रा में हम उपयोग में लाते है, तो बचा हुआ 90% हिस्सा हमारे कब काम में आयेगा!!

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पिछले 23 से भी अधिक वर्ष से मैं सम्मोहन उपचार (Hypnotherapy and Mind Counseling) क्षेत्र में कार्यरत हूं। इस पूरे कार्यकाल में बहुत लोगोंको मानसिक आरोग्य से जुड़ी हुई बहुबिध समस्याएं और कठिनायिओंका सामना करते हुए मैने बहुत करीब से देखा है। मन में आए हुए भाव, भावनाएं, सवाल, संघर्ष और द्वंद्वात्मक विचार इनके अंधःकार मय चक्रव्यूह में फसकर लोग तीव्र नैराश्य में चले जाते है, उनका मन शरीर एवं उनकी सामाजिकता यह सब बुरी तरह प्रभावित होता है। मन के इस अधःपतन को मैने देखा है और इन सबने सम्मोहन उपचार लेने के बाद, उनका यही मन जो पहले नैराश्य से भरा हुआ था, उनका मानसिक आरोग्य उत्तम रुपसे उभरते हुए भी मैने देखा है। इन सबका मन समर्थ्यशाली बनने के बाद, इन सबका जीवन आनंदमय और स्थिरता से परिपूर्ण होते हुए भी मैने देखा है।

इस मन का स्वरूप अबोध है, आपके स्वयं के मन का तंत्र (technique) तथा मंत्र (management key points) इन दोनों का ज्ञान प्राप्त करके आप अपना वर्तमान जीवन सुख और समाधान से परिपूर्ण बना सकते है। अगर आपको प्रस्तुत लेख पसंद आया हो, तो मुझे जरूर बताईए।

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