“ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः”
अर्थ: वासुदेवनन्दन परमात्मा स्वरूपी भगवान श्रीकृष्णको वंदन है, उन गोविंदको पुनः पुनः नमन है, वे हमारे कष्टोंका नाश करें। आपको प्रणाम करने वालों के क्लेश का नाश करने वाले श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा एवं गोविन्द के प्रति हमारा बार- बार नमन नमस्कार है।
ऐसा कहते हैं कि श्रीकृष्णजी को स्नान-ध्यान कराकर, उनका श्रृंगार कर, दर्पण दिखाने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत हीजल्द प्रसन्न होते हैं। इससे मनोरथ सिद्धी हो जाती हैं। घर में धन का आगमन होता है।
श्री कृष्ण को भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली, युगश्रेष्ठ मानव अवतारों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 5,200 साल पहले मथुरा में हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म का एकमात्र उद्देश्य पृथ्वी को राक्षसों की बुराई से मुक्त करना था। उन्होंने महाभारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भक्ति और अच्छे कर्म के सिद्धांत का प्रचार किया, जिसका वर्णन भगवद गीता में विस्तार से किया गया है।
जन्माष्टमी पूरे भारत में भक्ति गीतों और नृत्यों, पूजाओं, आरती, शंख की ध्वनि और श्रीकृष्ण की पालकी के साथ मनाया जाता है।
स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव समुदाय जनाष्टमी को अलग अलग दिनों में मनाते हैं। आपको बता दें कि स्मार्त संप्रदाय के लोग भगवान् शिव को प्रमुख मानते हैं। जबकि वैष्णव समुदाय के लोग भगवान विष्णु को प्रमुख मानते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे थे।
भगवान कृष्ण का स्वयंका जीवन और उनकी वाणी के माध्यम से कई महत्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं, जो मानवता के लिए शक्तिदायी प्रेरणास्त्रोत हैं। यहाँ कुछ प्रधान संदेश दिए जा रहे हैं:
हमारी आत्मा का महत्व: भगवान कृष्ण ने आत्मा की महत्वपूर्णता बताई और यह सिखाया कि आत्मा अमर है और शरीर के परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन करती रहती है।
धर्म और कर्म: भगवान कृष्ण ने धर्म की महत्वपूर्णता को बताया और यह सिखाया कि मनुष्य को अपने कर्मों का पालन करते हुए धर्मपरायण रहना चाहिए।
भगवद भक्ति: भगवान कृष्ण ने भक्ति की महत्वपूर्णता को बताया। वे यह सिखाते हैं कि भक्ति और प्रेम के माध्यम से भगवान के पास पहुँचा जा सकता है।
संपूर्णतः समर्पण और सेवा: भगवान कृष्ण ने अपने शिष्यों के साथ और सभी मानवों के साथ समर्पण और सेवा की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया।
कर्मयोग: भगवान कृष्ण ने कर्मयोग का महत्व बताया, जिसका मतलब होता है कर्मों में लिप्त रहकर भी निष्काम भाव से कार्य करना।
ज्ञान और भक्ति का संयोग: उन्होंने बताया कि ज्ञान और भक्ति का संयोग सबसे उत्तम है, क्योंकि इसी माध्यम से मनुष्य ईश्वर के प्रति अधिक समर्पित होता है।
ध्यान और योग: उन्होंने ध्यान और योग के माध्यम से मानव को अपने मन को नियंत्रित तथा विकसित करने की कला सिखाई।
ये कुछ मुख्य संदेश हैं जो भगवान कृष्ण ने अपने जीवन के दौरान दिए। उनके संदेश आज भी मानवता को जीवन के मार्गदर्शन में मदद करते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन यह निम्नलिखित काम किजिए।
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान कर लें। इसके बाद राधा कृष्ण मंदिर में जाकर मूर्ति पर पीले रंग की माला पहनाएं। यह उपाय करने से देवी माँ लक्ष्मी और भगवान कृष्ण खुश होंगे। इसके अलावा श्रीकृष्ण की विशेष कृपा अर्जित करने के लिए सफ़ेद रंग की मिठाई या सफ़ेद खीर बनाकर, उसमे मिस्री और तुलसी के पत्ते डालकर भगवान को भोग लगाए। यह उपाय करने से भगवान श्रीकृष्ण जल्द प्रसन्न होंगे।
जन्माष्टमी के दिन नीचे दिए गए तीन मंत्रो का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न रहते हैं। आइये जानते हैं क्या है वो तीन मन्त्र-
पहला मंत्र
गोवल्लभाय स्वाहा
इस मन्त्र में 7 अक्षर हैं। इस मन्त्र का जाप करने से हर कार्य में सफलता मिलेगी।
दूसरा मंत्र
गोकुल नाथाय नमः
इस मन्त्र में 8 अक्षर है। इस मन्त्र का जाप करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
तीसरा मंत्र
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
इस मन्त्र में 12 अक्षर है। इस मन्त्र का जाप करने से इष्टसिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा ‘कृं कृष्णाय नम:’ मन्त्र का जाप 108 बार करें।
“ह्रदय में स्थितप्रज्ञ श्रीकृष्ण को जगाए।”
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